Bhopalmadhya pradesh

बेटियों को सच में बचाना है तो एमपी के इस गांव से लें प्रेरणा

टीकमगढ़। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ भले ही रास्ते में धूल फांक रही है, ऐसे में पानी की किल्लत से जूझता देश का सबसे पिछड़ा इलाका बुंदेलखंड सरकार को आइना दिखाने का काम कर रहा है क्योंकि यहां के एक गांव का लिंगानुपात औसत से कोसों आगे है।

दरअसल, बुंदेलखंड के टीकमगढ़ जिला मुख्यालय से करीब 18 किमी दूर बसा हरपुरा मड़िया गांव बेटियों के गांव के नाम से जाना जाता है क्योंकि यह गांव बेटियों की संख्या के मामले में सबसे अव्वल है, यहां 1000 पुरुष पर 1112 महिलाएं हैं, जबकि पूरे जिले में ये अनुपात 1000 पर 932 है। बेटियों के इस अद्भुत और अनोखे गांव के कई घरों में तो बेटियों की संख्या 10 तक है। लिहाजा ये गांव बुंदेलखंड की शान में चार चांद लगा रहा है।

इस गांव की आबादी लगभग 3300 है और पूरे गांव में सिर्फ लोधी समाज के लोग ही रहते हैं, जिसमें करीब 90 फीसदी लोग खेती-किसानी कर अपना परिवार पालते हैं। यहां रहने वाले ज्यादातर लोग कम पढ़े-लिखे हैं, फिर भी बेटियों की परवरिश में कोई कसर नहीं छोड़ते और हर आंगन में बेटियों की किलकारी पूरे दिन गूंजती रहती है।

जानकारी के मुताबिक, ऐसा गांव आपको ढूढ़़कर भी नहीं मिलेगा क्योंकि इस गांव का हर युवा भ्रूण हत्या का विरोध और बेटियों को बचाने की अलख जगा रहा है। पिछले 18 साल से लोग यहां बेटी बचाने का अभियान चला रहे हैं। जिसका नतीजा है कि अब इस गांव की खुद की अपनी पहचान हो गयी है।

गांव के नृपत सिंह की 9 बेटियां हैं, इंदल सिंह की 8 बेटियां हैं, जबकि महेंद्र लोधी की 10 बेटियां हैं। सरकार पूरे प्रदेश में बेटी बचाने के लिए कई कार्यक्रम चला रही है, जिन पर लाखों करोड़ो रुपया पानी की तरह बहाया जा रहा है, फिर भी सफलता नहीं मिल पा रही, लेकिन इस गांव के लोग खुद बेटियां बचाने का संदेश देकर मिसाल कायम कर रहे हैं।

जिला प्रसासन भी बेटियों के इस अनोखे गांव के बारे में सुनकर अचंभित है और कलेक्टर का कहना है कि हम लोग गांव का दौरा कर लोगों का मनोबल और वढ़ायेंगे क्योंकि यह एक अच्छी पहल है, इस गांव ने प्रदेश और जिले में चल रही बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान को पीछे छोड़ दिया है।

Related Articles

Back to top button