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महाभियोग स्थगन पर बोली कांग्रेस- संविधान का गला ना घोटें

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति वेंकैंया नायडू ने आज चीफ जस्टिस दीपक मिश्र के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया। चीफ जस्टिस के खिलाफ कांग्रेस समेत सात अन्य दल महाभियोग का प्रस्ताव लाए थे। उपराष्ट्रपति के फैसले के बाद अब कई राजनीतिक पार्टियों के नेताओं के बयान आ रहे हैं।

कांग्रेस नेता पीएल पुनिया ने ट्वीट कर कहा, ‘ मुझे नहीं मालूम कि अविश्वास प्रस्ताव को क्यों खारिज कर दिया गया है। लेकिन इसके लिए आगे संवैधानिक स्तर पर कदम उठाएंगे।

‘कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ‘राज्यसभा के सभापति प्रस्ताव के नोटिस पर निर्णय नहीं दे सकते हैं क्योंकि उनके पास प्रस्ताव की योग्यता का निर्णय करने का कोई अधिकार नहीं है।’ यह लड़ाई लोकतंत्र को अस्वीकार करने और लोकतंत्र को बचाने बीच की है।

यदि सब कुछ राज्यसभा अध्यक्ष के सामने ही साबित करना है तो संविधान और 3 सदस्यीय जजों की समिति द्वारा किए जाने वाली जांच के एक्ट का कोई औचित्य नहीं है। संविधान का गला ना घोटे बीजेपी।

उपराष्ट्रपति वेंकैंया नायडू ने कहा, ‘चीफ जस्टिस के खिलाफ जो पांच आरोप लगाए गए थे, उस पर मैंनं काफी चिंतन किया। जिसमें चीफ जस्टिस के खिलाफ कोई आरोप सच साबित नहीं हो सके। इस आधार पर महाभियोग प्रस्ताव को खारिज कर दिया।’

भाजपा के वरिष्ठ नेता और वकील सुब्रमणयम स्वामी ने कहा, ‘महाभियोग प्रस्ताव पर उपराष्ट्रपति ने बहुत कम समय में सही फैसला लिया है। कांग्रेस का यह कदम उसके लिए आत्महत्या करने जैसा है।

सेवानिवृत्त न्यायाधीश आरएस सोढी ने विपक्ष की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘आप जानते हैं कि आपके पास महाभियोग लाने के लिए कोई जमीन नहीं हैं और आप इसे प्रभावित नहीं कर सकते फिर भी ऐसा कदम उठाना बिना दिमाग के काम करने जैसा है।’

शिवसेना नेता अरविंद सावंत ने कहा कि चीफ जस्टिस पर महाभियोग को लेकर दोनों पार्टियां राजनीति कर रही हैं। इतना जल्दी प्रस्ताव को खारिज करने की क्या जरूरत थी। इस पर समय लेकर विचार किया जा सकता था।

विपक्ष को मालूम था फिर भी लाया अविश्वास प्रस्ताव
विपक्ष के महाभियोग प्रस्ताव के पेश करने के पहले ही चर्चा थी कि यह प्रस्ताव गिर जाएगा। लोकसभा में विपक्षी पार्टियां इस प्रस्ताव को पारित नहीं करा सकती हैं। वहीं राज्यसभा में भी (दो तिहाई बहुमत) से इस प्रस्ताव का पारित होना मुश्किल लग रहा था।

ये सभी बातें मालूम होने के बादजूद कांग्रेस और उसके साथी दल ऐसा क्यों कर रहे थे? आखिर उनका मकसद क्या था ? क्या कांग्रेस पार्टी मुख्य न्यायाधीश पर दबाव बनाना चाहती थी या फिर 2019 आम चुनाव के पहले कांग्रेस मोदी सरकार पर सवाल खड़े करना चाहती थी ? इस तरह के तमाम सवाल उठ रहे थे। आज इस प्रस्ताव को उपराष्ट्रपति के द्वारा खारिज करने के बाद राजनीतिक दलों ने इस पर बयानबाजी शुरू कर दी है।

सात दलों ने दिया था नोटिस…
20 अप्रैल को कांग्रेस और 6 अन्य विपक्षी दलों ने देश के प्रधान न्यायाधीश पर ‘कदाचार’ और ‘पद के दुरुपयोग’ का आरोप लगाया था। CJI KS खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव नोटिस कुल 71 सदस्यों ने हस्ताक्षर किए थे, जिनमें सात सदस्य सेवानिवृत्त हो चुके हैं। महाभियोग के नोटिस पर हस्ताक्षर करने वाले सांसदों में कांग्रेस, राकांपा, सपा, माकपा, भाकपा, बसपा और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) के सदस्य शामिल थे।

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