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उम्मीद की किरण  : दिगंबर जैन समाज के हजारों परिवारों को उम्मीद है कि आचार्य विद्यासागर बीस साल बाद पधारेंगे 

…क्योंकि तब भी नेमावर से चातुर्मास के लिए आए थे इंदौर

    (कीर्ति राणा)

 

दिगंबर जैन समाज में इन दिनों चर्चा और व्यग्रता का एक ही विषय है कि जैनाचार्य विद्यासागर जी चातुर्मास के लिए इंदौर पधारेंगे या नहीं।जबलपुर से विहार करते हुए आचार्य श्री आज मंगलवार को सुबह 7.30 बजे सिद्धोदय सिद्ध क्षेत्र नेमावर पहुंच गए हैं। उनके साथ 32मुनियों का संघ चल रहा है लेकिन इन मुनियों को भी पता नहीं होता कि सूर्योदय से पहले आचार्य किस दिशा में कदम बढ़ाएंगे।बीस साल पहले 1999 में उनका चातुर्मास गोम्मटगिरी पर हुआ था। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी उनके दर्शन-आशीर्वाद के लिए आए थे।चातुर्मास से पहले विद्यासागर जी नेमावर से ही विहार करते इंदौर आए थे, बस इस धुंधली सी उम्मीद से इंदौर सहित आसपास के शहरों के हजारों जैन परिवार यह उम्मीद लगाए बैठे हैं कि इस बार भी नेमावर से वे संघ सहित इंदौर पधारेंगे।
अभी दो दिन पहले आचार्य विद्यासागर संघ सहित बड़नगर पहुंचे थे, उस दिन भी करीब 32 बसों और निजी वाहनों से पहुंचे सैंकड़ों समाजजनों की तरफ से समाज प्रमुख प्रदीप कासलीवाल, राजकुमार पाटोदी, भरत मोदी, विमल सोगानी, सदभावना ट्रस्ट के महामंत्री संतोष सर आदि ने श्रीफल भेंट कर उनसे इंदौर में चातुर्मास के लिए पधारने की विनती की थी, हर बार की तरह आशीर्वाद की मुद्रा में हाथ उठाया, हल्के से मुस्कुराए पर कोई संकेत नहीं दिया।नेमावर से उनके इंदौर आने की उम्मीद मजबूत विश्वास का रूप इसलिए भी ले रही है कि नेमावर में पंच बालयति (ब्रह्मचारी अवस्था में ही मोक्ष प्राप्त करने वाले) मंदिर में बेदी का निर्माण चल रहा है। करीब छह महीने बाद यहां पंचकल्याणक का संयोग बन रहा है।विद्यासागरजी का इंदौर में चातुर्मास होने की स्थिति में मंदिर निर्माण से लेकर पंच कल्याणक की तैयारियों के लिए भी उनका मार्गदर्शन  मिलता रहेगा।आचार्यश्री से दीक्षित आर्यिका माता सहित 275 मुनि देश के विभिन्न हिस्सों में विहार के बाद चातुर्मास करेंगे।
रेवती गांव में मुनि आवास निर्माण
गोम्मटगिरी में चातुर्मास (1999) के दौरान आचार्यश्री की इच्छा मुताबिक रेवती गांव  (अरबिंदो हॉस्पिटल के पीछे) में साढ़े सत्रह एकड़ जमीन पर दयोदय गौशाला स्थापना के साथ ही यहां प्रतिभास्थली विद्यालय, मंदिर निर्माण के साथ ही मुनि संघ के ठहरने के लिए चालीस कमरों का निर्माण भी हो चुका है।1999में भी उनका इंदौर में जो चातुर्मास हुआ इसके लिए भी करीब 25 वर्षों से (स्व) बाबूलाल पाटोदी सहित अन्य समाज प्रमुख विनती कर रहे थे।

-पुकारे जाते हैं अनियतविहारी आचार्य 

रास्तों को भी पता नहीं होता किस तरफ उठ जाएं 73 वर्षीयआचार्य विद्यासागर जी के कदम।इसी कारण उन्हें अनियतविहारी आचार्य भी पुकारा जाता है। देश भर में फैले 275 के करीब शिष्य-मुनियों को तो चातुर्मास के लिए किस दिशा में बढ़ना है यह संकेत आचार्यश्री की तरफ से मिल जाता है। लेकिन खुद वे सुबह जिस रास्ते पर चले, दोपहर में जहां विश्राम किया अपराह्न में उसी रास्ते पर आगे चलेंगे यह भी तय नहीं रहता।

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