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आटा चक्की व्यवसाय से कमलेश बैरवा पकड़ रही है तरक्की की रफ्तार

श्योपुर। मंजिलें उन्ही को मिलती हैं जिनके सपनों में जान होती है पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उडान होती है” इन पँक्तियों को चरितार्थ किया है श्योपुर जिले की 45 वर्षीय कमलेश बैरवा ने। जब कहीं काम नहीं मिला तो श्रीमती बैरवा ने शुरु किया खुद का आटा चक्की का व्यवसाय ओर अब दो लाख रुपए सालाना हो रही आय। बताया जाता है कि जिले के विकासखण्ड श्योपुर की ग्राम डाबरसा निवासी श्रीमती कमलेश पत्नी जगदीश बैरवा पांचवी तक पढ़ी हैं। पारिवारिक स्थित ठीक नहीं होने के कारण श्रीमति बैरवा ने पहले तो काम की तलाश की, लेकिन कम पढ़े लिखे होने के कारण कहीं काम नहीं मिला तो गांव की महिलाओं के साथ मिलकर समूह बनाया ओर लोन लेकर शुरु किया आटा चक्की का व्यवसाय। उनके द्वारा लगाई गई आटा चक्की से गांव के कई परिवार आटा पिसाने के लिए आने लगे। जिससे निरंतर उनकी आय में वृद्धि होती रही।
बताया जाता है कि राज्य ग्रामीण आजिविका मिशन के कर्मचारी की सलाह से श्रीमती कमलेश ने पहले अंबेडकर समूह बनाकर गांव की महिलाओं को जोड़ने के प्रयास किये। साथ ही मिशन के माध्यम से प्रशिक्षण लेकर समूह की शक्रिय महिला के रूप में अपनी पहचान बनाई। श्रीमती बैरवा ने बताया कि, मैं अपने तीन बच्चों की पढ़ाई लिखाई का खर्चा आटा चक्की के व्यवसाय से आसानी से उठा रही हूं। साथ ही पति के साथ खेती में भी सहारा दे रही हूं। वर्तमान में मुझे 2 लाख रूपए वार्षिक आय इस व्यवसाय से प्राप्त हो रही है।